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आरा की 100 साल पुरानी परंपरा में श्री श्री बड़ी देवी दुर्गा पूजा का आयोजन, महासप्तमी के शुभ अवसर पर पट का उद्घाटन और अशोक सिंह की प्रेरणादायक भूमिका।

आरा की 100 साल पुरानी आस्था: श्री श्री बड़ी देवी दुर्गा पूजा 2025 में पट उद्घाटन और अशोक सिंह के नेतृत्व का भव्य उत्सव।

आरा की 100 साल पुरानी आस्था का प्रतीक: श्री श्री बड़ी देवी दुर्गा पूजा में खुला माँ का पट, भक्ति और उल्लास में डूबा शहर

दिनांक: 29 सितंबर 2025 | स्थान: आरा, बिहार

शारदीय नवरात्रि की पवन बेला में जब पूरा देश माँ भगवती की भक्ति में लीन है, तब बिहार का ऐतिहासिक शहर आरा अपनी एक सदी पुरानी परंपरा के जीवंत उत्सव में डूबा हुआ है। यहाँ की हवा में घुली अगरबत्ती की सुगंध, वैदिक मंत्रों का धीमा स्वर और भक्तों का उत्साह एक ऐसे माहौल का निर्माण कर रहा है, जो आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनूठा संगम है।

एक गौरवशाली शताब्दी की जीवंत परंपरा

श्री श्री बड़ी देवी दुर्गा पूजा समिति की यात्रा लगभग 100 वर्ष पूर्व शुरू हुई थी। उस समय कुछ उत्साही युवाओं और स्थानीय व्यवसायियों ने इसे आरंभ किया था। आज यह पूजा सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि पीढ़ियों की विरासत बन चुकी है। समय के साथ पंडाल की भव्यता और उत्सव का विस्तार हुआ है, लेकिन भक्तों की अटूट आस्था अपरिवर्तित रही है।

सप्तमी का शुभ मुहूर्त और माँ का अलौकिक स्वरूप

महासप्तमी का दिन नवरात्रि में विशेष महत्व रखता है। इस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों में से कालरात्रि की पूजा होती है। जैसे ही पट खुला, पंडाल में उपस्थित भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। माँ के इस भव्य स्वरूप को देखकर हर कोई श्रद्धा में डूब गया।

समारोह में गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर आरा नगर की माननीय मेयर श्रीमती इंदु देवी जी और पूर्व पार्षद श्रीमती अनीता सिंह जी उपस्थित रहीं। समिति ने उनका स्वागत सम्मानपूर्वक किया और उन्हें अंग वस्त्र एवं देवी माँ आरण्य देवी की प्रतिमा भेंट की।

अशोक सिंह: इस आयोजन के प्रेरणास्त्रोत



"इस भव्य और सफल आयोजन के लिए पूरी दुर्गा पूजा कमेटी के सभी सदस्यों को और खासकर ऊर्जावान अध्यक्ष श्री राजकुमार जी को बहुत-बहुत बधाई। यह सभी का अथक परिश्रम है कि आज हम माँ के इस दिव्य स्वरूप का दर्शन कर पा रहे हैं।"

अशोक सिंह, समिति के संरक्षक और पूर्व वार्ड पार्षद, इस आयोजन के पीछे की प्रेरणा हैं। उनका मानना है कि सामूहिक प्रयास और निष्ठा से ही इस तरह की परंपरा जीवित रहती है। उन्होंने आयोजन की हर प्रक्रिया में गहन रुचि ली और इसे सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

एक पूजा से बढ़कर: आरा की सांस्कृतिक धड़कन

श्री श्री बड़ी देवी दुर्गा पूजा अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है। यह आरा की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। नौ दिनों के इस उत्सव में पंडाल के आसपास का क्षेत्र एक जीवंत मेले में बदल जाता है। यहाँ विभिन्न झूले, खाने-पीने के स्टॉल और दुकानें सज जाती हैं। यह आयोजन स्थानीय कारीगरों, मूर्तिकारों और व्यापारियों को भी एक मंच प्रदान करता है।

निष्कर्ष

आज पट खुलने के साथ ही उत्सव का मुख्य चरण आरंभ हो गया है। आने वाले दिनों में महाअष्टमी और महानवमी की पूजा और भव्यता से होगी। अशोक सिंह और समिति के प्रयास इस आयोजन को सफलता की नई ऊँचाईयों तक ले जा रहे हैं। यह न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि आरा शहर की एक अमूल्य धरोहर भी है।

जय माता दी!