मजदूर पिता की बेटी तसलीमा फातिमा ने रचा इतिहास, जूनियर लेक्चरर परीक्षा में हासिल की पहली रैंक
संघर्ष और सफलता की मिसाल बनीं तसलीमा फातिमा ने तेलंगाना जूनियर लेक्चरर भर्ती परीक्षा (जूलॉजी) में पहली रैंक हासिल कर अपने परिवार और पूरे राज्य का नाम रोशन किया है। उनके पिता SK बाबुमियां, जो सादासिवपेट के एक गोदाम में मजदूरी करते हैं, ने आर्थिक तंगी के बावजूद अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।
अब तसलीमा अपने ही शहर सादासिवपेट के सरकारी जूनियर कॉलेज में लेक्चरर बनेंगी और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाएंगी।
पिता को गर्व, संघर्ष से मिली सफलता
सियासत की रिपोर्ट के अनुसार, SK बाबुमियां पिछले 30 वर्षों से मजदूरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया, "हमारे पास पैसे की कमी थी, लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी। बच्चों की पढ़ाई के लिए हमेशा पूरा समर्थन दिया।"
तसलीमा ने भी पिता के इस संघर्ष को अपनी कड़ी मेहनत से सफलता में बदल दिया।
उर्दू मीडियम से शुरुआत, फिर अंग्रेज़ी में भी जीती चुनौती
- 10वीं कक्षा तक तसलीमा ने उर्दू मीडियम से पढ़ाई की।
- इसके बाद, इंटरमीडिएट में अंग्रेज़ी मीडियम को अपनाया और सादासिवपेट के इंडो ब्रिटिश जूनियर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की।
- ग्रेजुएशन के लिए कोटी वीमेंस कॉलेज, हैदराबाद चुना।
- फिर ओसमानिया यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में एमएससी किया।
टॉपर बनने का सफर
एमएससी पूरी करने के सिर्फ दो साल बाद, तसलीमा ने तेलंगाना जूनियर लेक्चरर परीक्षा में टॉप कर लिया।
‘तेलंगाना टुडे’ से बातचीत में उन्होंने कहा:
"मैं अपने गाँव के बच्चों को पढ़ाकर समाज को कुछ लौटाना चाहती हूँ। मेरा सपना पीएचडी कर प्रोफेसर बनने का है।"
शानदार शैक्षणिक रिकॉर्ड
- 10वीं कक्षा: 9.5 GPA
- इंटरमीडिएट: 1000 में से 943 अंक
- TSPGCET (PG एंट्रेंस): छठी रैंक
प्रेरणा बनीं तसलीमा फातिमा
तसलीमा फातिमा की सफलता यह साबित करती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। उनकी कहानी न सिर्फ मेहनत और संघर्ष की मिसाल है, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा भी है, जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।