राशन दुकानदार की बेटी बनी पायलट, मां ने कहा- बेटी को आसमान में उड़ना था, इसलिए बेच दी जमीन
छपरा, बिहार: कहते हैं, अगर आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के छपरा की ताईबा अफरोज ने, जिन्होंने पायलट बनने का सपना देखा और उसे साकार भी कर लिया। उनके पिता एक राशन की दुकान चलाते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी के सपनों के लिए जमीन तक बेच दी। आज ताईबा अपने जिले की पहली मुस्लिम महिला पायलट बनकर एक नई मिसाल पेश कर रही हैं।
ताईबा अफरोज ने बचपन में ही देखा था पायलट बनने का सपना
ताईबा अफरोज सारण जिले के मढ़ौरा प्रखंड के खोदाईबाग जलालपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता मोती उल हक राशन की दुकान चलाते हैं और मां शमशुल निशा एक गृहिणी हैं। उनका परिवार एक साधारण जीवन जीता था, लेकिन ताईबा के सपने बड़े थे।
उन्होंने बताया कि बचपन से ही उन्हें हवाई जहाज उड़ते देखना बहुत पसंद था, और तभी से उन्होंने पायलट बनने की ठान ली थी। हालांकि, उनके परिवार के लोग उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपने सपने के आगे किसी की नहीं सुनी।
शुरुआती पढ़ाई और पायलट बनने की यात्रा
ताईबा की शुरुआती पढ़ाई गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर पंचायत के कतालपुर में हुई। वहीं, उन्होंने अपने मामा के घर रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की। इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने पायलट बनने का फैसला लिया और इसके लिए भुवनेश्वर और इंदौर के फ्लाइंग क्लब में दाखिला लिया।
भुवनेश्वर में हुआ चयन, मेडिकल अनफिट होने पर भी नहीं हारी हिम्मत
पायलट बनने के लिए ताईबा ने कड़ी मेहनत की और भुवनेश्वर में फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। हालांकि, ट्रेनिंग के दौरान मेडिकल अनफिट होने के कारण उन्हें रुकना पड़ा। उनके गॉलब्लैडर में पथरी थी, जिसकी वजह से उन्हें ऑपरेशन कराना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और ऑपरेशन के बाद फिर से ट्रेनिंग शुरू कर दी।
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ताईबा अफरोज |
बिना इंस्ट्रक्टर के पहली बार उड़ाया विमान
ताईबा ने बताया कि जब उन्होंने पहली बार बिना इंस्ट्रक्टर के फ्लाइट उड़ाया, तो वे काफी नर्वस थीं। उनके इंस्ट्रक्टर ने अचानक कहा कि अब उन्हें खुद विमान उड़ाना होगा। पहले तो डर लगा, लेकिन उन्होंने सफलतापूर्वक टेक-ऑफ और लैंडिंग कर ली। यह उनके जीवन का सबसे यादगार पल था।
मां-बाप ने बेटी के सपने के लिए बेच दी जमीन
ताईबा की मां शमशुल निशा ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही पायलट बनना चाहती थी, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने बेटी की पढ़ाई के लिए अपनी जमीन तक बेच दी। आज ताईबा पायलट बन चुकी हैं और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं।
"राशन की दुकान से घर चलता है। बेटी को आसमान में उड़ना था, पायलट बनना था, इसलिए उसे पढ़ाने के लिए जमीन बेच दी। आज मेरी दोनों बेटियां अच्छी स्थिति में हैं, जिससे हमें गर्व महसूस हो रहा है।" – शमशुल निशा, ताईबा अफरोज की मां
छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूडी भी हैं पायलट
गौरतलब है कि सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी भी कमर्शियल पायलट लाइसेंस होल्डर हैं। उन्होंने फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल और सुखोई फाइटर जेट उड़ाया है। अब उनके जिले की ताईबा अफरोज ने भी पायलट बनकर नया इतिहास रच दिया।
ताईबा की सफलता से जिले में खुशी की लहर
ताईबा की इस उपलब्धि से उनके परिवार और पूरे जिले में खुशी की लहर है। उनके माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी की सफलता से अन्य लड़कियों को भी प्रेरणा मिलेगी। ताईबा चाहती हैं कि हर लड़की अपने सपनों के लिए लड़े और उन्हें पूरा करे।
निष्कर्ष
ताईबा अफरोज की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखती हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर मेहनत और जुनून हो, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। उनके माता-पिता ने भी यह दिखा दिया कि बेटियों की पढ़ाई और करियर के लिए किया गया त्याग कभी बेकार नहीं जाता।
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