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125 साल पुराना 'गुप्त' रेलवे स्टेशन: जहाँ से ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन कोई नहीं रुकता!

बिहार के पश्चिम चंपारण में एक 125 साल पुराना रेलवे स्टेशन है, जहाँ से ट्रेनें गुजरती हैं लेकिन कोई नहीं रुकता। जानिए पूरी कहानी।

बिहार का रहस्यमयी रेलवे स्टेशन

बिहार का पश्चिम चंपारण जिला अपने ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है, लेकिन इस जिले में एक रहस्यमयी रेलवे स्टेशन भी है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। यह स्टेशन ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बनाया गया था और कभी अंग्रेज अधिकारियों के लिए एक खास ठहराव हुआ करता था। लेकिन आज इस स्टेशन पर ना कोई यात्री आता है, ना कोई टिकट काउंटर है, और ना ही कोई ट्रेन यहाँ रुकती है।

यह रेलवे स्टेशन आज भी भारतीय रेलवे के रिकॉर्ड में मौजूद है, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से बंद नहीं किया गया है। इसके बावजूद, यह स्टेशन यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं है और सिर्फ ट्रेनें यहाँ से गुजरती हैं। आखिर ऐसा क्यों? यह रेलवे स्टेशन क्यों बंद हो गया और क्या यह दोबारा शुरू हो सकता है? इन सवालों के जवाब हम इस रिपोर्ट में तलाशेंगे।

125 साल पुराना 'गुप्त' रेलवे स्टेशन: जहाँ से ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन कोई नहीं रुकता!
प्रतीकात्मक फोटो

125 साल पुराना रेलवे स्टेशन, जहाँ कोई ट्रेन नहीं रुकती

बिहार में कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व है, लेकिन यह स्टेशन बाकी सबसे अलग है। 125 साल पहले बने इस स्टेशन को अंग्रेजों ने एक खास मकसद से तैयार किया था। यहाँ से सिर्फ चुनिंदा लोगों को यात्रा करने की अनुमति थी, जिनमें अंग्रेज अफसर, बड़े व्यापारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। आम जनता को यहाँ ट्रेन पकड़ने की इजाजत नहीं थी।

आज के समय में इस स्टेशन की हालत यह है कि:

  • यहाँ कोई यात्री नहीं आता।
  • स्टेशन का नाम साइनबोर्ड से गायब है।
  • यहाँ कोई टिकट काउंटर नहीं है।
  • कोई रेलवे कर्मचारी यहाँ नहीं मिलता।
  • सिर्फ ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन रुकती नहीं।

रेलवे रिकॉर्ड के अनुसार, इस स्टेशन को कभी आधिकारिक रूप से बंद नहीं किया गया, लेकिन इसका उपयोग भी बंद हो गया है। लोग इस स्टेशन के बारे में बात करना भी पसंद नहीं करते, क्योंकि इसके साथ कई रहस्य और कहानियाँ जुड़ी हुई हैं।


इस स्टेशन पर ट्रेनें क्यों नहीं रुकतीं?

इस सवाल का कोई आधिकारिक जवाब नहीं है, लेकिन कुछ ऐतिहासिक तथ्यों और स्थानीय कहानियों से हमें कुछ सुराग मिलते हैं।

1. ब्रिटिश सरकार ने इसे गुप्त ठहराव के रूप में इस्तेमाल किया था

इस रेलवे स्टेशन को अंग्रेजों ने सिर्फ अपने अफसरों के लिए तैयार किया था। यह एक तरह का "प्राइवेट रेलवे स्टेशन" था, जहाँ से सिर्फ उच्च पदस्थ अधिकारी यात्रा कर सकते थे। यहाँ आम जनता के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।

2. आज़ादी के बाद धीरे-धीरे बंद हो गया

1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद, अंग्रेज अधिकारी यहाँ से चले गए। इसके बाद यह रेलवे स्टेशन धीरे-धीरे बेकार होने लगा। चूंकि यह स्टेशन सिर्फ अंग्रेजों के लिए बनाया गया था और यहाँ से कोई आम यात्री यात्रा नहीं करता था, इसलिए भारतीय रेलवे ने भी इसे चालू रखने की जरूरत नहीं समझी।

3. स्टेशन के पास से गुप्त सुरंग की अफवाह

स्थानीय निवासियों का दावा है कि इस स्टेशन के नीचे एक गुप्त सुरंग थी, जो रेलवे स्टेशन से सीधे अंग्रेज अधिकारियों के बंगले तक जाती थी। इस सुरंग का उपयोग ब्रिटिश अधिकारी करते थे, ताकि वे बिना किसी की नजर में आए अपने बंगलों तक पहुँच सकें। यह सुरंग अब बंद हो चुकी है, लेकिन इसकी कहानी आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

4. यह स्थान अब एक 'भूतिया' स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध हो गया है

कई स्थानीय लोग इसे "भूतिया स्टेशन" भी कहते हैं। कई लोगों ने यहाँ अजीबोगरीब घटनाएँ महसूस करने का दावा किया है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने रात में इस स्टेशन पर रहस्यमयी आवाजें सुनी हैं। हालांकि, इस बात की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस डर के कारण लोग यहाँ जाने से कतराते हैं।


क्या यह रेलवे स्टेशन फिर से चालू हो सकता है?

बिहार सरकार और रेलवे प्रशासन को इस रेलवे स्टेशन की हालत के बारे में जानकारी है, लेकिन अब तक इसे फिर से चालू करने को लेकर कोई योजना नहीं बनी है। हालांकि, अगर स्थानीय लोग मांग करें और सरकार पहल करे, तो इस रेलवे स्टेशन को फिर से चालू किया जा सकता है।

अगर यह स्टेशन चालू हो जाए तो:
✅ इस क्षेत्र के लोगों को एक नया रेलवे स्टेशन मिल सकता है।
✅ यह स्टेशन पर्यटन स्थल बन सकता है, जिससे बिहार की ऐतिहासिक धरोहरों में एक नया नाम जुड़ जाएगा।
✅ भारतीय रेलवे को एक नया यात्री केंद्र मिल सकता है, जिससे ट्रेनों की भीड़ कम की जा सकती है।

लेकिन इसके लिए रेलवे प्रशासन को स्टेशन की मरम्मत, नए टिकट काउंटर की स्थापना और ट्रेन स्टॉपेज की स्वीकृति देनी होगी, जो फिलहाल नहीं किया गया है।


क्या रेलवे इस पर कोई फैसला लेगा?

भारतीय रेलवे के कई छोटे और कम उपयोग में आने वाले स्टेशनों को बंद किया जा रहा है या फिर उन्हें पुनः चालू किया जा रहा है। ऐसे में, अगर इस स्टेशन को फिर से शुरू करने की मांग बढ़ती है, तो रेलवे इसे चालू करने पर विचार कर सकता है।

फिलहाल, यह स्टेशन भारतीय रेलवे के रिकॉर्ड में दर्ज तो है, लेकिन यह एक भूतिया और रहस्यमयी जगह बन चुका है। यह बिहार के इतिहास का एक अनोखा हिस्सा है, जिसे संरक्षित किया जाना चाहिए।


निष्कर्ष

125 साल पुराना यह रेलवे स्टेशन सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक रहस्य बना हुआ है। यह स्टेशन कभी अंग्रेजों के लिए एक खास ठहराव हुआ करता था, लेकिन आज यह पूरी तरह से बंद पड़ा है।

  • यहाँ ट्रेनें गुजरती हैं, लेकिन रुकती नहीं।
  • कोई यात्री यहाँ आता-जाता नहीं है।
  • स्टेशन के पास रहस्यमयी गुप्त सुरंग होने की कहानियाँ प्रचलित हैं।
  • लोग इसे भूतिया मानते हैं और रात में यहाँ जाने से डरते हैं।

अगर भारतीय रेलवे चाहे, तो इस स्टेशन को फिर से चालू कर सकता है, जिससे यह पर्यटन स्थल भी बन सकता है और स्थानीय लोगों को लाभ भी हो सकता है। लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या भारतीय रेलवे को इस स्टेशन को फिर से चालू करना चाहिए? हमें अपनी राय कमेंट में बताएं!