बद्रीनाथ में ग्लेशियर हादसा: भारतीय सेना ने 35 मजदूरों को बचाया, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम के पास शुक्रवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ। माणा गांव के पास ग्लेशियर टूटने से 57 मजदूर फंस गए, जो सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए काम कर रहे थे। भारतीय सेना (Indian Soldiers), ITBP, SDRF और अन्य बचाव दलों ने तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और अब तक 35 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया है, जबकि बाकी 22 मजदूरों की तलाश जारी है।
🔴 माणा गांव में ग्लेशियर टूटने से मचा हड़कंप
उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम से कुछ दूरी पर स्थित माणा गांव देश का आखिरी गांव माना जाता है। यह क्षेत्र भारत-चीन सीमा के बेहद करीब है और यहां BRO सड़क निर्माण समेत कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। शुक्रवार सुबह अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया, जिससे मजदूरों की जान खतरे में पड़ गई।
ग्लेशियर टूटने की सूचना मिलते ही प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं। भारतीय सेना, ITBP, SDRF और BRO की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया।
🔴 भारतीय जवानों ने फिर दिखाया जज्बा
ग्लेशियर टूटने के कारण भारी बर्फबारी और ठंड के बीच बचाव अभियान चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन भारतीय जवानों (Indian Soldiers) ने बिना किसी देरी के ऑपरेशन शुरू किया और अपनी जान जोखिम में डालकर 35 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
बचाए गए कुछ मजदूरों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, अभी भी 22 मजदूर बर्फ के नीचे दबे हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
🔴 मुख्यमंत्री ने दिए रेस्क्यू तेज करने के निर्देश
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर तत्काल संज्ञान लिया और प्रशासन को तेजी से राहत-बचाव अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को सुरक्षित निकालना सरकार की प्राथमिकता है।
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन को भी अलर्ट कर दिया है ताकि जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर और अतिरिक्त जवानों की मदद ली जा सके।
🔴 माणा गांव: रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र
माणा गांव सिर्फ एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि भारत-चीन सीमा के पास एक महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र भी है। यहां सेना और BRO की कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें सड़क निर्माण और बंकरों का निर्माण शामिल है।
यहां लगातार बर्फबारी होती रहती है, जिससे कभी-कभी इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं हो जाती हैं। हाल ही में उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश और बर्फबारी ने हालात को और मुश्किल बना दिया है।
🔴 ग्लेशियर टूटने की घटनाएं क्यों होती हैं?
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक बर्फबारी और तापमान में उतार-चढ़ाव ग्लेशियरों को कमजोर कर देता है, जिससे वे अचानक टूटकर गिर सकते हैं।
इस घटना के बाद वैज्ञानिक और प्रशासन अलर्ट हो गए हैं और आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नई रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं।
🔴 निष्कर्ष:
माणा गांव में ग्लेशियर टूटने की यह घटना बेहद दर्दनाक है, लेकिन भारतीय सेना और बचाव दलों की तत्परता ने अब तक 35 मजदूरों की जान बचा ली है। अभी भी 22 मजदूरों के फंसे होने की आशंका है और उनका रेस्क्यू जारी है।
यह हादसा हमें याद दिलाता है कि हमारे वीर जवान किसी भी स्थिति में देशवासियों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इस बचाव अभियान को लेकर पूरे देश की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि बाकी मजदूरों को कितनी जल्दी सुरक्षित निकाला जाता है।
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