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दूसरी शादी की दो कहानियां: दिखावे की चमक या लोकहित में 10,000 करोड़ का दान?

दूसरी शादी की दो कहानियां: दिखावे की चमक या लोकहित में 10,000 करोड़ का दान?


हाल ही में दो हाई-प्रोफाइल शादियों की चर्चा जोरों पर रही। एक ओर थी विदेशी पॉप स्टार रिहाना का डांस, महंगी सजावट और असीमित खर्च वाली शादी, और दूसरी ओर थी अडानी परिवार की सादगी भरी शादी, जहां 10,000 करोड़ रुपये किसी भव्य आयोजन पर खर्च करने के बजाय लोकहित में दान कर दिए गए।


10,000 करोड़ में हो सकती थी भारत की सबसे महंगी शादी!


अगर अडानी परिवार चाहता, तो यह रकम भारत की सबसे भव्य शादी पर खर्च कर सकता था।

✅ दुनिया के सबसे बड़े डांसर्स और कलाकारों को बुला सकता था।
✅ हॉलीवुड-बॉलीवुड के सितारे रेड कार्पेट पर लाइन में खड़े होते।
✅ दुनिया के बड़े नेता और क्रिकेट सितारे इसमें शामिल होते।

लेकिन इसके बजाय उन्होंने अपने संस्कारों और जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी।


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समृद्धि के साथ जिम्मेदारी भी आती है


भारत की परंपरा रही है कि अमीर सिर्फ अपने लिए नहीं, समाज के लिए भी जीते हैं।


📌 भामाशाह ने अपना पूरा धन महाराणा प्रताप को दान कर दिया था।
📌 बिड़ला परिवार ने मंदिर और शिक्षण संस्थान बनाए।
📌 टाटा ने कैंसर हॉस्पिटल बनाया।
📌 बजाज परिवार ने महात्मा गांधी के सेवाग्राम की नींव रखी।
📌 अजीम प्रेमजी और शिव नाडार जैसे उद्योगपति अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान करते हैं।

यह भारत की गौरवशाली परंपरा है – धन सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए।


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दिखावे का अश्लील प्रदर्शन बनाम जिम्मेदार अमीरी


आज के समय में जब कुछ उद्योगपति और अमीर लोग दिखावे पर असीमित खर्च करते हैं, तब अडानी परिवार ने एक नई मिसाल पेश की।

🚨 यह सोचने का विषय है – क्या समृद्धि सिर्फ दिखावे और विलासिता के लिए है या फिर समाज को आगे बढ़ाने के लिए?

📖 महात्मा गांधी का ट्रस्टीशिप सिद्धांत कहता है कि धन का मालिक व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज है। उसे सही उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।


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भारत की शिक्षा और दान परंपरा


हमारे प्राचीन ग्रंथ हितोपदेश में कहा गया है:

विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥

🔹 विद्या से विनम्रता आती है।
🔹 विनम्रता से योग्यता मिलती है।
🔹 योग्यता से धन आता है।
🔹 धन से धर्म (सदाचरण) और अंततः सच्चा सुख प्राप्त होता है।

यही भारतीय संस्कृति की मूल भावना है – धन को समाज के कल्याण के लिए इस्तेमाल करना ही असली समृद्धि है।


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निष्कर्ष: हमें क्या सीखना चाहिए?

अडानी परिवार ने यह साबित किया कि धन सिर्फ खर्च करने के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए एक जिम्मेदारी भी है।

🎯 फिजूलखर्ची की जगह शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में निवेश करना ही असली सफलता है।
🎯 **भारतीय उद्योगपतियों को भामाशाह, टाटा, प्रेमजी और बजाज से