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BJP ने जीतन राम मांझी को दिखाई ‘औकात’? बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर!

बिहार मंत्रिमंडल विस्तार में जीतन राम मांझी को बड़ा झटका! बेटे संतोष सुमन से छीने गए दो विभाग। क्या मांझी पाला बदलेंगे? जानिए पूरी खबर।

BJP ने जीतन राम मांझी को दिखाई 'औकात'? बिहार में बड़ा सियासी उलटफेर!

पटना: बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। नीतीश कुमार की सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब राजनीति गर्मा गई है। खासकर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी के लिए यह झटका साबित हुआ है। मांझी के बेटे संतोष सुमन से दो विभाग छीन लिए गए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि बीजेपी ने मांझी को उनकी "औकात" दिखाने का काम किया है। अब सवाल उठता है—क्या मांझी पाला बदलेंगे या बीजेपी को करारा जवाब देंगे?


🟢 मांझी को क्यों लगा बड़ा झटका?

बिहार सरकार में हुए मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान बीजेपी के 7 नए विधायकों को मंत्री पद दिया गया, लेकिन इस फेरबदल में मांझी की पार्टी को किनारे कर दिया गया। उनके बेटे संतोष सुमन से दो महत्वपूर्ण विभाग (पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) छीन लिए गए और अब उनके पास केवल एक लघु जल संसाधन विभाग बचा है।

यह फैसला उस वक्त आया जब जीतन राम मांझी लगातार बीजेपी से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे और बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे। मांझी ने हाल ही में कहा था कि "हम बिहार चुनाव में बीजेपी को उसकी औकात दिखा देंगे।" अब बीजेपी के इस कदम को उनके बयान के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है।


🔴 मांझी की "पलटी मार" राजनीति का इतिहास

जीतन राम मांझी का राजनीतिक सफर हमेशा से ही "गठबंधन की राजनीति" का हिस्सा रहा है।
2014: नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था।
2015: नीतीश से बगावत कर आरजेडी के करीब चले गए।
2017: एनडीए में शामिल होकर बीजेपी के सहयोगी बन गए।
2020: बिहार में नीतीश-बीजेपी गठबंधन में शामिल हुए और सरकार का हिस्सा बने।
2024: अब फिर बीजेपी के फैसले से नाखुश नजर आ रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है कि क्या मांझी फिर से पाला बदलेंगे?


🟠 क्या बीजेपी ने मांझी को उनकी 'औकात' दिखाई?

राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने यह फैसला बहुत सोच-समझकर लिया है।
1️⃣ पहला कारण: मांझी लगातार बीजेपी से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे, जिससे बीजेपी नाराज थी।
2️⃣ दूसरा कारण: मांझी का "दल बदलने" का पुराना रिकॉर्ड बीजेपी को भरोसा नहीं करने दे रहा था।
3️⃣ तीसरा कारण: बीजेपी बिहार में अपनी कोर वोटबैंक (अति पिछड़ा और सवर्ण वोटर) को मजबूत करना चाहती है, जिसमें मांझी की पार्टी की जरूरत नहीं है।

बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि वह "छोटे सहयोगियों" को ज्यादा महत्व नहीं देने वाली है।


🔵 मांझी की अगली चाल क्या होगी?

अब सवाल यह उठता है कि क्या मांझी एनडीए में बने रहेंगे या फिर से नया ठिकाना तलाशेंगे?
संभावना 1: मांझी आरजेडी के साथ हाथ मिला सकते हैं और महागठबंधन में वापसी कर सकते हैं।
संभावना 2: मांझी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं, लेकिन गठबंधन में बने रहेंगे।
संभावना 3: मांझी सिर्फ दबाव की राजनीति कर रहे हैं ताकि उन्हें दोबारा अहमियत दी जाए।

बिहार की राजनीति में यह पहली बार नहीं हुआ है। बिहार चुनाव 2025 के लिए सियासी गणित अभी से शुरू हो गया है।


🔴 निष्कर्ष (Conclusion)

बीजेपी ने नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए मांझी को बड़ा झटका दिया है। संतोष सुमन से दो विभाग छीने जाने से साफ है कि बीजेपी अब "बिना उपयोग के सहयोगियों" को किनारे लगाने की तैयारी कर रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या मांझी पाला बदलते हैं या दबाव की राजनीति खेलते हैं?

👉 बिहार की राजनीति में अगले कुछ हफ्तों में बड़ा उलटफेर हो सकता है। आपकी क्या राय है? क्या मांझी बीजेपी से अलग होंगे? अपनी राय कमेंट में बताएं!


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