भाजपा नेताओं के साथ लगातार दिख रहे पवन सिंह, क्या राजनीति में एंट्री की तैयारी?
पवन सिंह की राजनीति में एंट्री: भाजपा से टिकट वापसी, निर्दलीय चुनाव और भविष्य की संभावनाएं
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन सिंह सिर्फ अपने सुपरहिट गानों और दमदार अभिनय के लिए ही नहीं, बल्कि राजनीति में अपने कदम रखने को लेकर भी सुर्खियों में बने हुए हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन उन्होंने टिकट लौटा दिया। इसके बाद उन्होंने बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा।
उनका यह राजनीतिक सफर बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है। अब वे लगातार भाजपा नेताओं के साथ देखे जा रहे हैं, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे फिर से भाजपा में शामिल हो सकते हैं। आइए जानते हैं पवन सिंह की राजनीति में एंट्री, उनके चुनावी फैसलों और आगे की संभावनाओं पर विस्तार से।
1. भाजपा से टिकट लेकर लौटाने की कहानी
आसनसोल से टिकट मिलने के बाद क्यों बदला फैसला?
मार्च 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से पवन सिंह को टिकट दिया था। यह सीट पहले टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा के पास थी, और भाजपा ने भोजपुरी स्टार की लोकप्रियता के सहारे इसे जीतने की रणनीति बनाई थी।
लेकिन टिकट मिलने के कुछ ही दिनों बाद पवन सिंह ने भाजपा से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
टिकट ठुकराने के कारण:
- बिहार से चुनाव लड़ने की इच्छा – पवन सिंह के प्रशंसक चाहते थे कि वे बिहार से चुनाव लड़ें, न कि बंगाल से।
- स्थानीय विरोध – पश्चिम बंगाल में उन्हें बाहरी उम्मीदवार के रूप में देखा गया, जिससे पार्टी के भीतर भी विवाद खड़ा हो गया।
- भाजपा की रणनीतिक गड़बड़ी – पहले से तैयार नेताओं के बजाय पवन सिंह को टिकट देने से भाजपा के अंदर भी असंतोष था।
- पारिवारिक और फिल्मी प्रतिबद्धताएँ – पवन सिंह ने चुनाव से हटने की वजह अपनी फिल्मों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बताया।
2. बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला
आसनसोल छोड़कर बिहार में नई राजनीतिक पारी
आसनसोल से पीछे हटने के बाद पवन सिंह ने बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
काराकाट सीट क्यों चुनी?
- काराकाट लोकसभा क्षेत्र में भोजपुरी भाषी जनता की संख्या ज्यादा है, जो पवन सिंह के बड़े प्रशंसक वर्ग का हिस्सा है।
- बिहार में राजनीति से जुड़े कई भोजपुरी स्टार्स पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए पवन सिंह को भी यहां समर्थन मिलने की उम्मीद थी।
- उनके समर्थकों का मानना था कि अगर वे बिहार से चुनाव लड़ते हैं, तो उनकी जीत की संभावना ज्यादा होगी।
क्या पवन सिंह को सफलता मिली?
- निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने के बावजूद पवन सिंह मुख्य मुकाबले में नहीं आ पाए।
- चुनावी मैदान में एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों का दबदबा रहा।
- हालांकि, उन्होंने एक मजबूत स्वतंत्र उम्मीदवार की छवि जरूर बना ली।
3. भाजपा के साथ बढ़ती नजदीकियां
चुनाव के बाद भी पवन सिंह लगातार भाजपा नेताओं के साथ देखे जा रहे हैं। इससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या वे फिर से भाजपा में शामिल होंगे?
भाजपा से संभावित वापसी के संकेत:
- भाजपा के कई बड़े नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।
- पार्टी के कार्यक्रमों और रैलियों में भाग ले रहे हैं।
- हिंदुत्व और राष्ट्रवादी छवि भाजपा की विचारधारा से मेल खाती है।
भाजपा को भी पवन सिंह की लोकप्रियता से फायदा हो सकता है, खासकर युवा और भोजपुरी भाषी मतदाताओं को आकर्षित करने में।
4. पवन सिंह का भविष्य: क्या राजनीति में पूरी तरह उतरेंगे?
संभावित भविष्य की रणनीति:
✅ भाजपा में वापसी और 2025 विधानसभा चुनाव की तैयारी
- अगर भाजपा उन्हें स्वीकार करती है, तो वे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में किसी प्रमुख सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं।
✅ 2029 में फिर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं
- 2024 में भले ही निर्दलीय लड़ने से ज्यादा सफलता नहीं मिली, लेकिन 2029 में वे किसी पार्टी के मजबूत उम्मीदवार के रूप में वापसी कर सकते हैं।
✅ भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े रहना और राजनीति में सक्रिय रहना
- पवन सिंह का मुख्य फोकस अब भी भोजपुरी सिनेमा है, लेकिन राजनीति में उनकी दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है।
5. निष्कर्ष: क्या पवन सिंह पूरी तरह राजनीति में आ जाएंगे?
पवन सिंह ने 2024 के चुनाव में भाजपा से टिकट लेकर ठुकराने और फिर निर्दलीय लड़ने के जो फैसले लिए, वे कई नई राजनीतिक संभावनाओं को जन्म देते हैं।
- फिलहाल वे राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं हुए हैं, लेकिन भाजपा नेताओं के साथ उनकी बढ़ती नजदीकियां यह संकेत देती हैं कि वे भविष्य में भाजपा से बड़े रोल में आ सकते हैं।
- 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका क्या होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
- अगर भाजपा उन्हें स्वीकार करती है, तो वे बिहार में भाजपा का बड़ा चेहरा बन सकते हैं।