भोजपुर के खुरमा को मिलेगा जीआई टैग, बिहार के पारंपरिक स्वाद को मिलेगी नई पहचान
भोजपुर के खुरमा को मिलेगा जीआई टैग, पहचान को मिलेगा नया दर्जा
बिहार के भोजपुर जिले की मशहूर "खुरमा" को जल्द ही जीआई (Geographical Indication) टैग मिलने वाला है। इससे भोजपुर के पारंपरिक व्यंजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष पहचान मिलेगी।
खुरमा, जो आमतौर पर गेहूं के आटे से बनी एक मीठी और कुरकुरी डिश है, बिहार के त्योहारों और खास मौकों पर बड़े चाव से खाई जाती है। यह पारंपरिक व्यंजन न केवल भोजपुर बल्कि पूरे बिहार में प्रसिद्ध है।
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खुरमा को जीआई टैग मिलने का क्या मतलब है?
जीआई टैग मिलने के बाद भोजपुर के खुरमा को एक विशेष भौगोलिक पहचान मिलेगी, जिससे –
✅ इसे बिहार के खास उत्पादों में शामिल किया जाएगा।
✅ बाजार में इसकी मांग और कीमत बढ़ेगी।
✅ स्थानीय कारीगरों और व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
✅ भोजपुर की संस्कृति और परंपरा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
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बिहार में और कौन-कौन से उत्पादों को मिला है जीआई टैग?
बिहार के कई अन्य प्रसिद्ध उत्पादों को भी जीआई टैग मिल चुका है, जैसे –
कतरनी चावल (भागलपुर)
मधुबनी पेंटिंग (मिथिला)
मगही पान
बोधगया का प्रसाद तिलकुट
सिलाव का खाजा
अब भोजपुर का खुरमा भी इस सूची में शामिल होने जा रहा है, जिससे बिहार की खान-पान संस्कृति को और मजबूती मिलेगी।
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बिहार में विहार करें, स्थानीय स्वाद और परंपरा का आनंद लें
बिहार सिर्फ ऐतिहासिक स्थलों, धार्मिक स्थानों और शिक्षा के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां की लोकल व्यंजन और पारंपरिक खानपान भी अनूठा है।
अगर आप बिहार घूमने आते हैं, तो यहां के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लेना न भूलें। भोजपुर का खुरमा, सिलाव का खाजा, तिलकुट, लिट्टी-चोखा, चना घुघनी, और मगही पान आपके सफर को और भी यादगार बना देंगे।
तो अगली बार बिहार आएं और यहां की समृद्ध
परंपरा का आनंद लें – बिहार में विहार करें!